किसको सुनाऊं हाल दिल-ऐ-बेकरार का बुझता हुआ चराग हूँ अपने मज़ार का, a photo by firoze shakir photographerno1 on Flickr.
ऐ काश भूल जाऊं मगर भूलता नहीं
किस धूम से उठा था जनाज़ा बहार का
ये दुनिया ये महफिल..
heer ranjha
kaifi azmi
I am street photographer a beggar poet .. I shoot misery cavorting with hope I shoot original content. I am Shia Sufi Hindu all in One
ऐ काश भूल जाऊं मगर भूलता नहीं
किस धूम से उठा था जनाज़ा बहार का
ये दुनिया ये महफिल..
heer ranjha
kaifi azmi