Tuesday, February 21, 2012

Mahashivratri - Om Shree Ganesha

ॐ नमः शिवाय
समय का इकतारा जब बोले,
जल, थल, नभ मैं मधुरस घोले,
ॐ .......

जग के दुःख संताप रे मनवा, जब तुझको तडपाये, (2)
मोह माया के जूठे बंधन, जब तुझको भरमाये
जपना मुखसे होले होले ..........

जप तप में ही सच्चा सुख है, क्या लेना छल बल से,
पतित पावन नाम है उसका,
उसके नाम के जल से, जीवन की चदरिया धोले, ..............

कर्म ही सच्चा ज्ञान योग है, कर्म ही कर जीवन मैं,
करले कर्म की उत्तम खेती, दुनिया के उपवन मैं,
दया धरम का बिजित बोले ..................

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